हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की जीवनी
Posted By Suraj on March 11, 2025मेजर ध्यानचंद का जन्म सन 1904 में प्रयागराज में एक साधारण परिवार में हुआ था। बाद में वह झाँसी आकर बस गए। 16 साल की उम्र में वह ‘फर्स्ट ब्राह्मण रेजिमेंट’ में एक साधारण सिपाही के रूप में भर्ती हो गए। सन 1936 में बर्लिन ओलंपिक में उन्हें हॉकी का कप्तान बनाया गया। बर्लिन ओलंपिक में लोग उनके हॉकी खेलने के ढंग से इतने प्रभावित हुए कि लोग उन्हें हॉकी का जादगर कहना शरू कर दिया। बर्लिन ओलंपिक में उन्हें स्वर्ण पदक मिला।
मेजर ध्यानचंद का जीवन सचमुच प्रेरणादायक है। उनकी हॉकी के प्रति निष्ठा, समर्पण और खेल प्रतिभा ने उन्हें न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में एक महान खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया। बर्लिन ओलंपिक में उनकी जादुई हॉकी स्किल्स को देखकर लोग दंग रह गए थे — यही वजह है कि उन्हें "हॉकी का जादूगर" कहा जाने लगा।
उनकी आत्मकथा का नाम "गोल" उनके जीवन और खेल के प्रति उनके जुनून को पूरी तरह दर्शाता है। यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक सफर है — एक ऐसे खिलाड़ी का सफर जिसने कठिनाइयों को पार करते हुए विश्व मंच पर भारत का नाम रोशन किया।
भारत में उनका सम्मान इस हद तक है कि उनके जन्मदिन (29 अगस्त) को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके नाम पर दिए जाने वाला राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार (अब ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार) हर उस खिलाड़ी को प्रेरित करता है जो अपने खेल से देश को गौरव दिलाना चाहता है।